स्वतंत्रता के पश्चात भारत का एकीकरण एवम पुनर्गठन

स्वतंत्रता के पश्चात देश के भीतर एकीकरण और पुनर्गठन भारत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना थी जिसके कारण कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। स्वतंत्रता के समय, भारत में लगभग 565 रियासतें थीं। एक विशाल देश होने के नाते, स्वतंत्रता के बाद देश के भीतर एकीकरण और पुनर्गठन चुनौतीपूर्ण था। इसे सरदार पटेल के असाधारण नेतृत्व द्वारा पूरा किया गया जिन्होंने एक एकीकृत राष्ट्र के सपने को संभव बनाया।



स्वतंत्रता के बाद देश के भीतर एकीकरण और पुनर्गठन की प्रक्रिया सुचारू नहीं थी। भारत सरकार और उसके नेताओं को इस प्रक्रिया में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन आखिरकार, वे विभिन्न रणनीति अपनाकर अपने इच्छित लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हुए।

स्वतंत्रता के पश्चात देश के भीतर एकीकरण और पुनर्गठन

जैसे ही भारत ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की और अंग्रेजों ने देश छोड़ने का फैसला किया, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) और मुस्लिम लीग को एकता (Unity) की चुनौती का सामना करना पड़ा। वे एक-दूसरे के साथ सहयोग करने में असफल रहे जिसके कारण भारत का विभाजन हुआ। स्वतंत्रता-पूर्व भारत में, ब्रिटिश, पुर्तगाली और फ्रांसीसी क्षेत्रों के साथ 565 रियासतें थी स्वतंत्रता के पश्चात देश के भीतर एकीकरण और पुनर्गठन का विचार एक कठिन कार्य लगता था।

ब्रिटेन ने भी सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया और इसके लिए एक कैबिनेट मिशन भेजा। चीजें योजना के अनुसार नहीं हुईं और मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त 1946 को “डायरेक्ट एक्शन डे” के रूप में घोषित किया। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप दोनों सीमाओं पर हिंसा हुई और अंततः कांग्रेस द्वारा विभाजन की योजना को स्वीकार कर लिया गया।

  • 14 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हुआ और भारत तथा पाकिस्तान नामक दो अलग-अलग राष्ट्रों के गठन हुआ।
  • यह विभाजन भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत हुआ था जिसे 5 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था।
  • पाकिस्तान को इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान कहा जाता था जो कुछ वर्षों के बाद पुनः विभाजित हो गया।
  • परिणामस्वरूप, 1975 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश का गठन किया गया।
  • एक अन्य मुद्दा जो उस समय विद्यमान था, वह रियासतों का एकीकर था क्योंकि इनमें से कुछ राज्य स्वतंत्रता और पृथक राज्यों के रूप में रहना चाहते थे।

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